इस समय इंग्लैंड में चैम्पियन ट्राफी
क्रिकेट प्रतियोगिता चल रही है। इसमें बीसीसीआई की टीम जोरदार प्रदर्शन करते हुए आगे
बढ़ती जा रही है। अनेक क्रिकेट विशेषज्ञ चकित हैं। बीसीसीआई के क्रिकेट खिलाड़ी जिस तरह
तूफानी बल्लेबाजी कर रहे है तो दूसरी टीमों के खिलाड़ी धीमे धीमे चल रहे हैं उससे लगता
है कि जैसे पिचें अलग अलग हैं। कभी कभी लगता है कि बल्ला या गेंदें भी अलग अलग हैं।
मतलब यह कि भारतीय बल्लेबाज दूसरों के मुकाबले ज्यादा आक्रामक हैं। किसी के समझ में
नहीं आ रहा है।
हम समझाते हैं कि आखिर मामला
क्या है? गुरुगोविंद
सिंह ने कहा है कि पैसा बहुत जरूरी चीज है पर खाने के लिये दो रोटी चाहिये। मतलब यह
कि जिंदगी में पैसा जरूरी है। एक विद्वान कहते
हैं कि पैसा कुछ हो या न हो पर जीवन में आत्मविश्वास का बहुत बड़ा स्तोत्र होता है। जी हां, आईपीएल में बीसीसीआई की टीम के बल्लेबाजों
ने जमकर पैसा कमाया है। यह उनके आत्मविश्वास
का ही कारण बन गया है। उनको मालुम है कि हमारे पास पैसा बहुत है और यह
भाव उनको आक्रामक बना देता है। सीधी बात कहें कि पैसा सिर चढ़कर बोलता है। हम यहां बीसीसीआई के खिलाडियों की आलोचना नहीं
कर रहे बल्कि यह बता रहे हैं कि जिस तरह अन्य टीमों के खिलाड़ी बुझे मन से खेल रहे हैं
उससे तो यही लगता है कि उनमें वैसा विश्वास नहीं है जैसा बीसीसीाआई की टीम में हैं।
इसे कहते हैं कि पैसा सिर चढ़कर बोलता है।
दीपक राज कुकरेजा ‘भारतदीप’ग्वालियर मध्यप्रदेश
Deepak Raj Kukreja 'Bharatdeep'
Gwalior, Madhya Pradesh
कवि, लेखक एवं संपादक-दीपक ‘भारतदीप’,ग्वालियर
hindi poet,writter and editor-Deepak 'Bharatdeep',Gwalior
http://dpkraj.blgospot.com
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