हिन्दी दिवस की पूर्व संध्या पर
चंडूखाने से खबर यह आयी
अंतर्जाल पर हिन्दी भाषा में
गालीवाद का युग आ गया
सौम्यता, सुन्दरता और माधुर्य की
परंपराओं की हो गयी विदाई
खबर ने जमकर हिट पायी
तब समझ में आया
लिखने वाले ने क्या गजब की
अक्ल पायी
सुन्दर, सौम्य और मधुर शब्दों से
अगर अपनी रचना सजाता
किसे पढा कर हिट पाता
गाली लिखने से लोंगों की दृष्टि खिंच आयी
कहैं दीपक बापू
हम तो फ्लाप ही रहेंगे
क्योंकि अपने गुरुजनों से
सरल और मधु शब्दों से ही
लिखने-पढने की प्रेरणा पाई
सोच रहे कि अभी इन लोगों ने लिखा ही क्या है
जो इतनी जल्दी निराशा घर कर आयी
लिखते हैं चार लाईनें
सोचते हैं कि तुलसी, सूर, मेरा और कबीर की
तरह लोगों में पूजें जाएँ
इस कोशिश में ऐसे लिख जाते
कि उनका लिखा और क्या पढेंगे
अपना लिखा खुद ही नही पढ़ पाते
लूटना चाहते हैं बस वाह-वाही
बैठकों में ऐसे जाते जैसे
हिन्दी के हैं बहुत बडे शेर
लौटते हैं मन में लेकर गलियों का ढ़ेर
और जो लिखते तो कराते
मातृ भाषा की जग हँसाई
हमें नहीं चाहिऐ गाली लिखकर हिट
इसी तो फ्लाप ही ठीक हैं भाई
फिर भी कहते हैं
सबको हिन्दी दिवस की बधाई
आनंद उठाने का सबसे अच्छी तरीका यह है कि आप एकांत में जाकर ध्यान
लगायें-चिंत्तन (Anand Uthane ka tareeka-Chinttan)
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रोकड़ संकट बढ़ाओ ताकि मुद्रा का सम्मान भी बढ़ सके।
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हम वृंदावन में अनेक संत देखते हैं जो भल...
6 years ago
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