Tuesday, September 4, 2007

बुद्धिजीवियों का झगडा और आम आदमी

ऐक बुद्धिजीवी ने दूसरे से कहा
'मेरी बात सुनो '
दूसरे ने कहा
'पहले मेरी बात सुनो'
दोनों में तू तू -मैं मैं हो गयी शुरू
बहस इस बात पर लंबी चली कि
पहले कौन बोले और कौन है इसके लायक
कौन है चेला कौन है गुरू

चारों तरफ लग गयी भीड़
ऐक आम आदमी उनके पास आया
और उसने झगड़ा सुलझाया
जिसने पहले प्रस्ताव दिया है
वही करे पहले कहना शुरू
पहले ने कहा
'अब पहले मैं नही कहूंगा
जो यह कहेगा वही सुनुँगा'
दूसरे ने भी पलटा खाया और बोला
'अब यह बोलेगा मैं सुनूँगा
यह पहले मेरी सुनकर
अपनी बात गढ़ लेगा
इस मामले में है गुरू'
फिर हो गया शुरू

आम आदमी ने पूछा
' दोनों पहले यह बताओ
आपकी बुद्धि में क्या भरा है
इतिहास, भूगोल या अर्थशास्त्र'
दोनो ऐक स्वर में बोले
'झगड़ा शास्त्र'
और फिर उस पर अपना
ज्ञान बघारना किया शुरू
वह भागने लगा तो उसे पकड लिया
और ऐक बोला
'यह झगडा तो तुम्हें फंसाने के लिए था
अब पूरा ज्ञान सुनकर जाओ गुरू '
दूसरे ने कहा
'मैं कर रहा हूँ झगड़े पर उपाधि लेने का प्रयास
यही दिलवायेंगे
गुरू दक्षिणा में माँगा था ऐक श्रोता
नही दिल्वाता तो मैं रोता
मैं हूँ चेला यह ठहरे गुरू'
डरा सहमा आदमी कुछ देर तो सुनता रहा
फिर झटका देकर अपना हाथ छुड़ाया
और नहीं रुका जो किया भागना शुरू
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