Saturday, September 22, 2007

उसे पुकारों दिल से

वह भूत-भूत कर चिल्लाते हैं
तंत्र-मन्त्र कर भगाने का
नाटक करते नजर आते हैं
बीमारी चिंताओं से बढ़े
वह हवाओं की बताते हैं
हरकते करे दीवानों जैसी
असर शैतानों का बताते हैं

विश्वास की कमी अविश्वास करती पैदा
फसल काटने के लिए सभी जगह
सर्वशक्तिमान की कृपा का दावा
कराने वाले दलालों के ठिकाने मिल जाते हैं
अशिक्षितों का क्या
शिक्षित भी उनके यहाँ हाजरी लगाते हैं
मरीज कहाँ जाएँ बिचारे
डाक्टर तक वहाँ लाईन लगाते हैं

कहैं दीपक बापू
वह बैठा अन्दर मुस्कराता है
जिसे इधर-उधर ढूँढने जाते हैं
उसकी कृपा वह क्या दिलाएंगे
जो उसके नाम पर रोटियाँ सेंके जाते हैं
एक हाथ उठाएं दुआ के लिए
दूसरे से पैसा लिए जाते हैं
बहुत सारे मन्त्र हैं
खुद ही जप कर
अपनी दवा खुद ही कर लो
भला जादू के मन्त्र से कभी
विश्वास और प्यार जीते जाते हैं
नाम कोई भी हो उसे पुकारो दिल से
तभी उसके अपने पास होने के
सहज अनुभूति पाते हैं
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