Tuesday, August 7, 2007

सबसे अलग होकर लिख

तू लिख जमकर लिख
समाज में झगडा न होता हो तो
कराने के लिए लिख
शांति की बात लिखेगा
तो तेरी रचना कौन पढेगा

जहां द्वंद्व न होता वहां होता लिख
जहाँ कत्ल होता हो आदर्श का
उससे मुहँ फेर
बेईमानों के स्वर्ग की
गाथा लिख
ईमान की बात लिखेगा
तो तेरी ख़बर कौन पढेगा

अमीरी पर कस खाली फब्तियां
जहाँ मौका मिले
अमीरों की स्तुति कर
गरीबों का हमदर्द दिख
भले ही कुछ न लिख
गरीबी को सहारा देने की
बात अगर करेगा
तो तेरी संपादकीय कौन पढेगा
रोटी को तरसते लोगों की बात पर
लोगों का दिल भर आता है
तू उनके जजबातों पर ख़ूब लिख
फोटो से भर दे अपने पृष्ठ
भूख बिकने की चीज है ख़ूब लिख
किसी भूखे को रोटी मिलने पर लिखेगा
तो तेरी बात कौन सुनेगा

पर यह सब लिख कर
एक दिन ही पढे जाओगे
अगले दिन अपना लिखा ही
तुम भूल जाओगे
फिर कौन तुम्हे पढेगा
झगडे से बडी उम्र
शांति की होती है
गरीब की भूख से
लडाई तो अनंत है
पर जीवन का
स्वरूप भी बेअंत है
तू सबसे अलग हटकर लिख
सब झगडे पर लिखें
तू शांति पर लिख
लोग भूख पर लिखें
तुम भक्ति पर लिख
सब आतंक पर लिखें
तू अपनी आस्था पर लिख
सब बेईमानी पर लिख
तू अपने विश्वास पर लिख
जब लड़ते-लड़ते
थक जाएगा ज़माना
क्योंकि मुट्ठी हमेशा
भींचे रहना कठिन है
हाथ कभी तो खोलेंगे ही लोग
तब हर कोई तुम्हारा लिखा पढेगा
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