मन्त्री जी ने मीटिंग में
अपने सचिव से कहा'-
इस बार के वार्षिक पुरस्कार के लिये
ऐसे लेखक का नाम ढूँढना
जो लिखता हो पर प्रचार के लिये
किसी की न तो
चमचागिरी करता हो
न ही ऐक रचना लिखकर
उसे हजार जगह सुनाता हो
न छ्पवाता हो
और उसके रचना में दम भी हो
समाज सेवा के क्षेत्र में भी
किसी ऐसे व्यक्ति का नाम सुझाना
जो वाकई में निष्काम भाव से
सेवा करता हो
उसके नाम पर चंदा न कर
अपनी जब से पैसा लगाता हो
बैठक में सन्नाटा खिंच गया
सचिव कुछ देर सोचने के बाद
मुस्कराता हुआ बोला-'
सर इसके लिये कहीं
और जाने की क्या जरूरत है
इतना काम है कि किसे
इतनी माथापच्ची करने की फुरसत है
आपके सुपुत्र जी की कुछ कविताएँ
कालिज के मेग्जीन में छपीं हैं
मित्रो के बीच में कविता भी
खूब सुनाते हैं न किसी की
चमचागिरी करते हैं
न कहीं अन्यत्र सुनाने जाते हैं
और समाज सेवा में तो सर
आप ही जाने जाते हैं
अपने घर का पुराना सामान
मंदिर में दान दे आते हैं
और कहीं प्रचार के लिये
खबर नही छ्पवाते हैं
सर मेरा विचार तो यह है
कि दोनों पुरस्कार आप
पिता-पुत्र पर फ़िट हो जाते हैं
मन्त्री जी खुश हो गये और बोले -'
तुम जाकर यह घोषणा करो
तब तक हम यह खबर
अपनी श्रीमतीजी को सुना कर आते हैं
उन्हें भी पता लगे कि
पुरस्कार ऐसे ही नहीं मिल जाते हैं
आनंद उठाने का सबसे अच्छी तरीका यह है कि आप एकांत में जाकर ध्यान
लगायें-चिंत्तन (Anand Uthane ka tareeka-Chinttan)
-
रोकड़ संकट बढ़ाओ ताकि मुद्रा का सम्मान भी बढ़ सके।
---
हम वृंदावन में अनेक संत देखते हैं जो भल...
6 years ago
No comments:
Post a Comment