दूसरों के लिखे का
करें छिद्रान्वेषण
कहैं जैसा वह लिखता है
वैसा खुद नही दिखता है
आधा-अधूरा पढ़ें
शब्दों के अर्थ न समझें
भाव क्या वह समझेंगे
करते हैं लिखने वाले का
चरित्र विश्लेषण
ऐसे लेखक क्या सृजन करेंगे
अपने दोष रहित होने का
जिसे आत्मबोध है
अपनी चाहत के अनुरूप
न लिखा होने का जिनके मन में
अत्यंत क्रोध है
दुसरे लेखक से अपने
लिखे के अनुसार ही चाल, चरित्र और
चेहरा रखने का होने का अनुरोध है
लिखेंगे वह खुद जो
उसका वह मतलब खुद नहीं समझेंगे
भाव रहित और भ्रमित अर्थ के
शब्दों से ही अपने पृष्ठ भरेंगे
आजकल तो दोष देखने का
सिलसिला कबीर और तुलसी में भी
देखने का चल पडा है
हिंदी में इसलिये सार्थक
रचनाओं का अकाल पडा है
विदेशी लेखकों में
महानता ढूँढने वाले
उनके शब्दों को दोहराकर
इतराने वाले
अपनी मातृभाषा को
पवित्र रचनाओं की क्या सौगात देंगे
कहैं दीपक बापू
अपने दोषों में ही जीवन का
अर्थ ढूँढा है
अपने ही धर्म ग्रंथों में ही
जीवन का अनमोल सत्य ढूँढा है
तुलसी, सूर, कबीर और मीरा के
छंदों में जीवन का रहस्य ढूँढा है
उनकी रचनाओं में दोष ढूँढने वाले
हिंदी के स्वर्णिम काल में
पत्थर ढूँढने वाले
अपनी मातृभाषा की माला में से
क्या भला शब्दों के मोती चुनेंगे
जो दोषों का पुलिंदा पकड़े बैठे हैं
छिद्रों में अन्दर तक घुसे हैं
ऐसे लोग भला क्या ख़ाक सृजन करेंगे
समाधि से जीवन चक्र स्वतः ही साधक के अनुकूल होता है-पतंजलि योग सूत्र
(samadhi chenge life stile)Patanjali yog)
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*समाधि से जीवन चक्र स्वतः ही साधक के अनुकूल होता
है।-------------------योगश्चित्तवृत्तिनिरोशःहिन्दी में भावार्थ -चित्त की
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3 years ago
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