Friday, August 3, 2007

खेल सिफारिश का

कहीं से भी अपने काम के लिए
मिल जाये किसी बडे आदमी
की हमें भी सिफारिश
हर आदमी के दिल में यह
हमेशा होती है कशिश

सबके दिल की बातें
पूरी हो जातीं तो
हर जगह बस गयी होती जन्नत
सिफारिश से अगर
सारा जहाँ सज गया होता
तो जुह्न्नुम खाली पडा होता
गली-मुहल्लों में पडे कूड़े के ढ़ेर
मलेरिया और डेंगू के मच्छरों जैसे शेर
कभी के मिट गये होते
सर्दी में पानी के लिए तरसते लोग
नहीं करते महसूस गर्मी की तपिश


यहाँ दया और दान पर नहीं मिलती
बड़ों की चौखट पर जाकर
कितनी भी करो
आरजू और मिन्नतें
परन्तु उनके दिल में रखी
बर्फ की चट्टान नहीं पिघलती
पानी, दवा, सड़क और बिजली की
जरूरत से कोई वास्ता नहीं
कारों के खास नंबर
कालोनी में करोड़ों का प्लाट
कौड़ियों की दाम पर
देने के लिए बडे प्यार से
मिल जाती है सिफारिश
समाज सेवा के नाम पर
गरीबों, दलितों और शौषितौं
के लगते है रोज नारे
पर सिफारिशी चिट्ठी पर
किसी बडे आदमी का नाम
जिसकी पूरी होती हर फरमाईश

कहैं दीपक बापू
मन में कई बार आया
कई लोगों ने बहलाया
कुछ ने फुसलाया
पर की कहीं से नही पाई
किसी बडे आदमी की सिफारिश
अपने हाथ ही बने जगन्नाथ
अपने चरण ही बने कमल
अब बडे-बडे लोगों की ओर देखकर
मन्द-मन्द मुस्कराते है
आख़िर वह लोग भी इतने बडे
बन जाते है किसी से लेकर सिफारिश
जो खुद खरीदी है उसे किसी और को
मुफ़्त में कैसे देंगे
कोई पुराना माल नहीं है
जो कबाड़ समझ कर
गरीब को दान में देंगे
इसलिये उस सर्वशक्तिमान की
चौखट पर ही अब अपना शीश नवाते हैं
जब उनके मन में आयेगा
वही करेंगे सिफारिश

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