Saturday, August 25, 2007

माँ-बाप कब सुधरेंगे

प्रेमी ने प्रेमिका से कहा
'मेरे मान-बाप नहीं है
बिना दहेज़ के मेरा विवाह
करने को तैयार
उनकी मर्जी के बिना
अगर मैंने बढ़ाया कदम तो
वह मुझ संपत्ति से बेदखल कर देंगे
मेरा-तुम्हारा साथ बस इतना ही था
अब फिर कभी नहीं मिलेंगे'
प्रेमी ने खेला था चालाकी से अपना दाव
प्रेमिका को पहले आया ताव
फिर संभलकर प्रसन्नता से बोली
'बहुत अच्छा हुआ
मेरी तरफ से उनको धन्यवाद देना
मेरी चिंता बिल्कुल न करना
कन्याओं के भ्रूण गिराने से चली जो हवा
उससे पड़ गया है लड़कियों का अकाल
समझदार माँ-बाप अब बेटे की शादी में
अब नहीं मांगते पैसा और माल
मेरे लिए परिवारवालों के पास
बिना दहेज़ के मेरा हाथ मांगने वाले
रिश्तों की झड़ी लगी थी
तुम्हारे साथ जिंदगी गुजरने के लिए तो
बस मैं अकेली अड़ी थी
आज से हम अपने रास्ते अलग कर लेंगे'

अपनी चाल नाकाम होते देखकर
प्रेमी घबडाया और बोला
'अभी जल्दी न करना
मैं अपने माता-पिता को
मनाने के प्रयास जारी रखूंगा
कभी न कभी तो हामी भरेंगे '

प्रेमिका ने कहा
'उमर निकल जायेगी तुम्हारी
माँ-बाप को मनाते
तुम जैसे कई बैठे हैं अपनी जवानी गंवाके
मैं अब इन्तजार नहीं कर सकती
विदेशों से आये हैं मेरे लिए रिश्ते
सोचती हूँ जाकर माँ-बाप की बात मान लूं
अच्छा तो मैं अब चलती हूँ
किस्मत में रहा तो फिर कभी मिलेंगे'

प्रेमिका चली गयी
प्रेमी पीछे से चिल्लाता रहा
पर वह अनसुना कर गयी
प्रेमी बोला'लड़को को तो सब
सुधरने के लिए कहते हैं
पर अपने मुहँ से दहेज़ मांग कर
अपने लड़के की जवानी बरबाद
करने वाले माँ-बाप कब सुधरेंगे'

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