Sunday, August 26, 2007

बेटा हीरो या साधू बनना

अब वह समय गया जब
माँ कहती थी
पढ़ जा बेटा
तुझे किसी तरह भी
इंजीनियर या डाक्टर है बनना
बाप कहता था
पढ़ या नहीं परन्तु
दुनिया के सारे गुर सीख ले
तुझे किसी तरह नेता है बनना
अब दोनों ही कहते हैं
पढ़ या नहीं तेरी मर्जी
परन्तु तू साधू या हीरो बनना

जब से प्रचार के लिए
साधू और हीरो की माँग
बाज़ार में बढ़ी है
जनता की नजरों में
उनकी छबि चढी है
वह दिन अब लद गये जब
लोग अपने प्रतिनिधियों के
दीवाने थे अब टूट गया है उनका भ्रम
वह दिन भी गये जब लड़के के
साधू बन जाने का भय सताता था
अब उन्हें पता चल गया है
उसका आश्रम कोई वीराने में नहीं बसेगा
पर्ण कुटिया की तरह नहीं
फाइव स्टार की तरह सजेगा
ग्रंथों का ज्ञान तोते की तरह रटेगा
और दुनिया भर की एश करेगा
बन गया हीरो तो भी
महापुरुषों की तरह पुजेगा
सबके माता-पिता की यही है तमन्ना
न किसी घौटाले में फंसने का भय
न किसी सेक्स स्कैंडल में
बदनाम होने की आशंका
साधू होकर काले धन को
सफ़ेद करेगा
पकडा गया तो भी उनके
भक्तो के भड़कने के भय से
कौन पकडेगा
चाहे कितने जुबान और बेजुबान
कुचल डाले
हीरो होकर जेल गया तो भी
प्रशंसकों का हुजूम उमडेगा
अच्छा हो या बुरा
चारों तरफ बजेगा डंका
बेटे के ऐसे ही रुप की
करते हैं सब कल्पना
कहैं दीपक बापू
हम अपने को खुद ठगते हैं
या कोई हमें मूर्ख बना जाता है
धर्म ग्रंथ पढ़-पढ़कर
और फिल्म देखकर
अपनी उम्र गंवाते जा रहे हैं
अपना ज्ञान ही अज्ञान लगता है
स्वाभिमान ही अपना अपमान
करने जैसा लगता है
हीरो जैसी शौहरत और साधू जैसी
क्यों न कर सके कमाई
क्यों नहीं पाली ऎसी तमन्ना
फिर सोचते हैं यह तो भेड़ चाल है
जब इनका यह भी भ्रम टूटेगा
इसने ऊपर भी कोई
सर्वशक्तिमान है
जब यह भांडा फूटेगा
तब लोगों की रह जायेगी सब कल्पना
अभी तो कह लेने दो
बेटा साधू या हीरो बनना
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