हमारे लिये तो रोज है
दोस्तों का दिन
आज छुट्टी मना ली है
न हाय न हलो
न राम राम
न श्याम श्याम
आज फुरसत पा ली है
मिलते हैं जो रोज
दर्द बाँटते हैं जो रोज
खुशी बाँटते हैं जो रोज
उनके लिये
आज का दिन खाली है गये हैं
सब फ्रैंडस के पास
दोस्ती के नाम से मुक्ति पा ली है
कहैं दीपक बापू जिंदगी में
दोस्त तो बहुत मिले
कुछ ने निभाया कुछ ने
मुसीबत में पीछा हमसे छुडाया
हिन्दी में ही पूरी की शिक्षा
अंग्रेजी से कभी
नाता नहीं निभाया
दोस्त बने और बिछडे
पर फ्रैंड कभी नहीं बनाया
हिन्दी-अंग्रेजी का
द्वंद जब भी चला
मातृभाषा का पक्ष हमेशा
हमने संबल बनाया
कोयी फ्रेंड नहीं बनाया
यह देखकर कभी-कभी
हारे हुए लगते हैं
फिर यह सोचकर
खामोश हो जाते हैं कि
हिन्दी और अंग्रेजी के द्वंद
तो अब भी चलते हैं
हमारे दोस्तो के रात-दिन तो
हिंदी भाषा और संस्कार में
ही ढलते हैं
यह सब देखकर हमने आज
फ्रेंडस डे से छुट्टी पा ली है
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