अपने लिये
ढूंढते हैं
फुर्सत के क्षण
ताकि दिल बहला
सकें।
जिंदगी की जंग
में
रोज होते लोग
घायल
नहीं मिलता समय
किसी को
ताकि दोस्तों के
जख्म पर
हाथ फिराकर सहला
सकें।
कहें दीपक बापू
ढूंढ रहे दवा
सभी अपनी बीमारी
के
इलाज के लिये,
मधुमेह, वायुविकार और
उच्च रक्तचाप के
चंगुल में
ज़माना रोज जिये,
कोई नहीं मिलता
जिसकी मस्तिष्क
की
धमनियों मे बचा
हो
ताजेपन का अहसास
ताकि उसे
उद्यानों में टहला सकें।
_____________________
लेखक एवं संपादक-दीपक राज कुकरेजा ‘भारतदीप’
लश्कर, ग्वालियर (मध्य प्रदेश)
कवि, लेखक एवं संपादक-दीपक ‘भारतदीप’,ग्वालियरhindi poet,writter and editor-Deepak 'Bharatdeep',Gwalior
http://dpkraj.blgospot.com
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