कभी कॉफी की चुस्कियों के साथ
देश की स्थिति पर
वह चर्चा करते थे।
अब बार में शराब के जाम
उनकी बहस रोचक बनाते
जो खाली बैठे आहें भरते थे।
कहें दीपक बापू विद्वानों की सेना
भारतीय आकाश में चिंत्तन के साथ
विचरण करती है,
यथास्थिति से प्रसन्न होती
परिवर्तन की हवा के झौंके से
उनकी हर सांस डरती है,
उन लोगों ने जुटा ली
उपाधियां बड़े नाम वाली े
प्रतिष्ठा और प्रचार के लिये
दौलतमंदों और ऊंचे ओहदे वालों के
सम्मान में लिखते हुए
चाटुकारिता की घास चरते थे।
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लेखक एवं संपादक-दीपक राज कुकरेजा ‘भारतदीप’
लश्कर, ग्वालियर (मध्य प्रदेश)
कवि, लेखक एवं संपादक-दीपक ‘भारतदीप’,ग्वालियरhindi poet,writter and editor-Deepak 'Bharatdeep',Gwalior
http://dpkraj.blgospot.com
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