पाकिस्तान अपने यहां खेली जाने वाले किक्रेट के परस्पर परीक्षण द्वंद्व
श्रृंखला अपनी भूमि की बजाय दुबई तथा शारजाह में खेलता है। इस समय आस्ट्रेलिया के साथ उसका परस्पर परीक्षण द्वंद्व चल रहा
है। हमारे देश में इस पर ज्यादा चर्चा
नहीं होती पर जिन लोगों को पाकिस्तान के आंतरिक विषयों में रुचि है उनके लिये यह
कतई आश्चर्यजनक नहीं है। पाकिस्तान वास्तव
में भारत विरोधियों के मुखौटे से अधिक नहीं है। शायद भारत के रणनीतिकार इसे समझते
हैं, इसलिये उसकी गीदड़ भभकियों से
विचलित नहीं होते।
अनेक भारतीय नागरिक पकड़े तो मध्य एशिया देशों में जाते हैं पर उन्हें
स्वदेश न भेजकर पाकिस्तान को सौंपा जाता है, ताकि वहां के शासक अपने
भारत विरोध की भूख शांत कर सकें। ऐसा प्रचार माध्यमों से ही पढ़ा था। इससे यह स्पष्ट हो जाता है कि भारतीय विरोधियों
की पंक्ति का अग्रभाग है। वास्तव में
पाकिस्तान एक उपनिवेश ही है। भारत से
कारगिल युद्ध के दौरान पाकिस्तान मे मंत्रिमंडल की बैठक सऊदी अरब में हुई थी। इससे यह भी साफ हो जाता है कि पाकिस्तान के
शिखर पुरुष अपनी प्रजा को अपना नहीं समझते। उनका शासन न्यायपूर्ण नहीं है इसलिये
अपने लोगों से ही भय खाते हैं। अक्सर कहा
जाता है कि पाकिस्तान के नेता जब अपने देश में डांवाडोल होते हैं तो भारत विरोधी
बयान देते हैं ताकि जनता का क्रोध थमा रहे।
हम ऐसा नहीं मानते। लगता है कि पाकिस्तान के नेता संकट काल में अपनी पंक्ति
के पीछे खड़े भारत विरोधी देशों को संदेश देते हैं कि अगर वह टूटे तो पूरी पंक्ति भारत
के कोपभाजन का शिकार होगी। अब तो भारतीय
चैनलों पर पाकिस्तानी बुद्धिजीवियों के विचार भी सामने आने लगे हैं। वह स्पष्ट रूप से कहते हैं कि हम अपने धर्म का
पूर्ण समर्थक न होने के कारण भारत का अस्तित्व सहजता से स्वीकार नहीं कर
सकते। यह अलग बात है कि भारतीय बुद्धिजीवी
भी अपने देश के धर्मनिरपेक्ष स्वरूप की बात कहकर चुप हो जाते हैं। अपने देश के मूल धर्म के श्रेष्ठ होने की बात
कहने का साहस किसी में नहीं है। पाकिस्तान को धर्म की वजह से ढेर सारे लाभ हैं
इसलिये उसे सहजता से सहायता मिल रही है।
पाकिस्तानी जनता को जो इतिहास पढ़ाया जाता है उसमें भारतीय धर्मों के प्रति
घृणा पैदा करने वाली जानकारी दी जाती है।
बचपन से ही उनमें भारत विरोधी भावना भरी जाती है।
पाकिस्तान मध्य तथा पश्चिमी देशों का उपनिवेश रहा है यह अलग बात है कि
आतंकवाद ने उसकी छवि खराब कर दी है। उसके
सहायक देश भी उससे डरने लगे हैं पर भारत
विरोधी की धुरी होने के कारण पाकिस्तान का अस्तित्व बनाये रखना चाहते हैं। हालांकि पाकिस्तान नाम का देश है जिसकी सीमा
पंजाब से बाहर नहीं है। सिंध, बलूचिस्तान तथा सीमा प्रांत के निवासियों की पहचान पंजाब के प्रभाव के कारण
खो गयी लगती है। ऐसे में पाकिस्तान के नेता अपने राष्ट्र की संप्रभुता की बात करते
हैं तो हंसी ही आती है। कम से कम उनके पास
क्रिकेट के परस्पर परीक्षण द्वंद्व श्रृंखला दुबई में होने की बात कोई जवाब तो हो
ही नहीं सकता। कोई संप्रभु राष्ट्र कभी
ऐसा कर ही नहीं सकता।
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लेखक एवं संपादक-दीपक राज कुकरेजा ‘भारतदीप’
लश्कर, ग्वालियर (मध्य प्रदेश)
कवि, लेखक एवं संपादक-दीपक ‘भारतदीप’,ग्वालियरhindi poet,writter and editor-Deepak 'Bharatdeep',Gwalior
http://dpkraj.blgospot.com
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