Thursday, June 25, 2015

जिंदगी का दर्शन-हिन्दी कविता(zindagi ka darshan-hindi poem)

सफर में ढेर सारे
वादे करते रहो
मंजिल पाते ही भूल जाओ।

पीछे छूटे हमराही
सवाल करने नहीं आते
अपने मुख से निकले शब्द
दिल के न शूल बनाओ।

कहें दीपक बापू जिंदगी का दर्शन
जो समझा वह तर गये
फरेबों की सौगात बांटी
उनके घर दौलत से भर गये
सच की राह कांटो से भरी है
झूठ के पैर नहीं होते
साथ लेते उनके पांव
जमीन पर नहीं होते
तुम भी चाहो उसकी
गोद मे झूल जाओ।
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लेखक एवं संपादक-दीपक राज कुकरेजा भारतदीप
लश्करग्वालियर (मध्य प्रदेश)
कवि, लेखक एवं संपादक-दीपक ‘भारतदीप’,ग्वालियर
hindi poet,writter and editor-Deepak 'Bharatdeep',Gwalior
http://dpkraj.blgospot.com

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