Saturday, June 13, 2015

कूड़े पर क्षणिकायें(short poem on kuda)

सर्वशक्तिमान के दरबार में
अब वह हाजिरी नहीं लगायेंगे,
कूड़े के इर्द गिर्द झाड़ू 
झंडे की तरह लहराकर
प्रतिष्ठा का दान पाकर
शिखर पर चढ़ जायेंगे।
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शहर में कचरा बहुत
उम्मीद है कोई तो आकर
उसे हटायेगा।
कभी अभियान चलेगा
स्वच्छता का
कोई तो झाड़ू झंडे की तरह
लहराता आयेगा।
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लेखक एवं संपादक-दीपक राज कुकरेजा भारतदीप
लश्करग्वालियर (मध्य प्रदेश)
कवि, लेखक एवं संपादक-दीपक ‘भारतदीप’,ग्वालियर
hindi poet,writter and editor-Deepak 'Bharatdeep',Gwalior
http://dpkraj.blgospot.com

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