भोजन जल्दी खाना है
या पकाना
पता नहीं
मगर जहर तो न पकाओ।
दुनियां में अधिक खाकर
आहत होते हैं लोग
भूख से मरने का
भय दिल में न लाओ।
कहें दीपक बापू जिंदगी में
पेट भरना जरूरी है
जहर खायेंगे
यह भी क्या मजबूरी है
घर की नारी के हाथ से बने
भोजन के मुकाबले
कंपनी दैत्य के विषैले
चमकदार लिफाफे में रखे
प्रसाद को कभी अच्छा न बताओ।
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लेखक एवं संपादक-दीपक राज कुकरेजा ‘भारतदीप’
लश्कर, ग्वालियर (मध्य प्रदेश)
कवि, लेखक एवं संपादक-दीपक ‘भारतदीप’,ग्वालियरhindi poet,writter and editor-Deepak 'Bharatdeep',Gwalior
http://dpkraj.blgospot.com
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