Sunday, January 4, 2015

विरोधी की सेवा कर चुके व्यक्ति पर नज़र रखना चाहिये-कौटिल्य के अर्थशास्त्र के आधार पर चिंत्तन लेख(A Hindu hindi article based on kautilya economics)





            पोरंबदर के जलक्षेत्र में भारतीय समुद्री रक्षकों ने एक नाव को रोकने का प्रयास किया तो उसमें बैठे सवारों ने आत्मघाती कदम उठाते हुए अपना ही जलयान उड़ा दिया। कहा जा रहा है कि यह घटना पड़ौसी देश का भारत के विरुद्ध छद्मयुद्ध के रूप में आतंकवादी गतिविधियां चलाने का एक भाग थी।  अभी इस घटना की जांच चल ही रही है पर कुछ भारतीय पत्रकारों ने अपनी ही सेना पर शंका जाहिर करते हुए इस नाव पर तस्करों या मछुआरों के सवार होने और उनके  मारे जाने की बात कही जा रही है। पड़ौसी देश तो पहले ही नहीं मान रहा था कि उसने कोई कोई आतंकी नाव भेजी है पर कुछ भारतीय बुद्धिमानों भी एक तरह से उसकी हां में हां मिलाकर विश्व जनमानस में संदेह फैला दिया।  एक बुद्धिमान तो इतना आगे बढ़ गया कि उसने कहा कि कहीं इस पर मछुआरे हुए तो पड़ौसी देश भी हमारे ही मछुआरों पर हमला कर सकता है।  उसके बयान के 12 घंटे बाद ही पड़ौसी देश ने दो भारतीय नावें पकड़ ली जिसमें 24 मछुआरे शामिल थे।  ऐसे में यह सवाल किसी के मन में आ सकता है कि क्या उस बुद्धिमान ने इस तरह का संदेश कहीं पड़ौसी देश तक तो नहीं पहुंचाया कि वह इस तरह बदले की कार्यवाही करे।  हम उस बुद्धिमान पर आक्षेप नहीं कर रहे पर कभी कभी यह लगता है कि बौद्धिक क्षेत्र में अनेक लोग ऐसे हैं जो अपने ही देश के विरुद्ध सक्रिय दिखते हैं।

कौटिल्य का अर्थशास्त्र में कहा गया है कि
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अकारणादेव हि कारणद्वा व एव कश्वित्पुरुषोऽरिसेवी।
निजश्वविशिलष्टउपेतशस्त्र आयाति यस्तस्य गर्ति प्रपश्येत्।।
            हिन्दी में भावार्थ-अकारण या किसी कारण से जो शत्रु की सेवा कर चुका हो अगर वह फिर से वापस आकर अपने साथ मिले तो उस नज़र रखना ही चाहिये।

            हमारे देश में लोकतंत्र है। इसका अर्थ यह कदापि नहीं है कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का देश की प्रतिष्ठा धूल में मिलाने के लिये में उसका उपयोग किया जाये। निष्पक्ष दिखने की ख्वाहिश भी इस तरह के समाचारों पर आपत्तियां उठाने की प्रेरक हो सकती है पर इससे देश की सेना के मनोबल पर पड़ सकता है इस पर ध्यान देना चाहिये।  सबसे बड़ी बात जो बुद्धिमान जलीय क्षेत्र में हुई इस घटना पर जिस तरह विश्लेषण कर रहे हैं उससे यह प्रश्न उठता है कि उनके पास सैन्य विषयों का अनुभव कितना है? प्रथ्वी और जल क्षेत्र में अंतर होता है। जल और थल सेना के काम करने के तरीके में भी अंतर होता है। प्रथ्वी के नियम जल क्षेत्र में नहीं चलतें। हमारे देश के बुद्धिमान इस घटना पर ऐसे बोल रहे हैं जैसे जमीन पर यह सब हुआ है।
            बहरहाल ऐसे लोग पर अन्य बुद्धिमान लोगों को नज़र रखना चाहिये।  हमारी जलसेना ने पहली बार आतंकवादी के विरुद्ध ऐसी कार्यवाही की है।  ऐसा माना जाता है कि भारत में समुद्री क्षेत्र से ही आतंकवादियों के अस्त्र शस्त्र और देश के युवाओं को तबाह करने के लिये मादक पदार्थ आते हैं।  इसलिये कहीं इस तरह के प्रचार से भारतीय जलसेना का मनोबल गिराने या उत्साहवर्द्धक सक्रियता की जगह भयवश निष्क्रियता में लगाने का प्रयास तो नहीं हो रहा-यह देखते रहना चाहिये।

लेखक एवं संपादक-दीपक राज कुकरेजा भारतदीप
लश्कर, ग्वालियर (मध्य प्रदेश)
कवि, लेखक एवं संपादक-दीपक ‘भारतदीप’,ग्वालियर
hindi poet,writter and editor-Deepak 'Bharatdeep',Gwalior
http://dpkraj.blgospot.com

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