Wednesday, January 14, 2015

आकाश के फरिश्तों के नाम पर-हिन्दी कविता(akash ke farostone ke naam par-hindi poem)



आदर्श चालचलन के

कायदे ज़माने को

सर्वशक्तिमान के दलाल

चालाकी से समझाते हैं।





आकाश में फरिश्तों के नाम पर

जो जुटा रहे दो जून की रोटी

ताकत दिखाने के लिये

चेलों का जमघट लगाते हैं।



कहें दीपक बापू तर्क की बात

किसी से करना बेकार है

जिनकी खिचड़ी बन रही

प्रचार की आग पर

चमकने के लिये

बकवादी भी बन जाते हैं।
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लेखक एवं संपादक-दीपक राज कुकरेजा भारतदीप
लश्कर, ग्वालियर (मध्य प्रदेश)
कवि, लेखक एवं संपादक-दीपक ‘भारतदीप’,ग्वालियर
hindi poet,writter and editor-Deepak 'Bharatdeep',Gwalior
http://dpkraj.blgospot.com

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