प्रसिद्धि की खातिर कोई विद्वता का लबादा ओढ़ता
कोई दूसरों को
हंसाने के लिये बनता जोकर,
यह अलग बात है प्रचार में कोई नायक बनता
किसी के हिस्से आती केवल ठोकर,
सभी के लिये समय एक जैसा नहीं होता,
शब्दों का जादूगर अपना असर देखकर हंसता है,
जग को हंसाने वाला अकेले में अपने हाल पर रोता,
ज़माने का दिल बहलाते हैं लोग कमाने के लिये,
अपने अंधेरे से भागते दूसरों का देते जलाकर दिये,
कहें दीपक बापू गोल दुनियां में हालातों में डोलता
इंसान
जिस शान पर इतराता बेबस हो जाता उसे खोकर।
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लेखक एवं संपादक-दीपक राज कुकरेजा ‘भारतदीप’
लश्कर, ग्वालियर (मध्य प्रदेश)
कवि, लेखक एवं संपादक-दीपक ‘भारतदीप’,ग्वालियरhindi poet,writter and editor-Deepak 'Bharatdeep',Gwalior
http://dpkraj.blgospot.com
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