आशिक ने कहा माशुका से
"तुम जल्दी से विवाह की तारीख
तय कर लो,
मेरा अभी तक दिल बहलाया है
अब खाली घर भी भर दो,
वरना तुम्हारे घर के बाहर
आमरण अनशन पर बैठ जाऊंगा,
भूखा प्यासा मरकर अमर आशिक का दर्जा पाऊँगा,
दुनिया मेरी याद में आँसू बहाएगी।"
सुनकर माशुका झल्लाई
और गरजते हुए बोली
"मुझे मालूम है
नौकरी से तुम्हारी होने वाली है छटनी,
बन जाएगी तुम्हारी जेब की चटनी,
अब तुम मेरे खर्चे नहीं उठा पाओगे,
घर पर ले जाकर चक्की पिसवाओगे,
पर मैं तुम्हारे झांसे में नहीं आऊँगी,
जब तक न बने तुम्हारा नया ठिकाना
तुमसे तब तक तुमसे दूरी बनाऊँगी,
वैसे तुम याद रखना
नारियों को परेशान करने के खिलाफ
ढेर सारे कानून बन गए हैं,
कई स्वयंसेवी संगठनों के
तंबू भी तन गए हैं,
नया काम मिलने पर ही
मेरे पास आना,
वरना पड़ेगा पछताना,
अनशन किया तो भूखे बाद में मरोगे,
पहले मेरे मुहल्ले में दोस्तों के हाथ फँसोगे,
कारावास में पहरेदार बाद में जमाएँगे लट्ठ
पहले भीड़ तुम्हारी पीठ पर बरसाएगी।"
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कवि, लेखक एवं संपादक-दीपक ‘भारतदीप’,ग्वालियर
hindi poet,writter and editor-Deepak 'Bharatdeep',Gwalior
http://dpkraj.blgospot.com
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