Wednesday, October 29, 2008

वासना में लिपटा भाव प्यार नहीं कहलाता-हिन्दी शायरी

किसी के ख्यालों में खो जाना
किसी के वादों में बहकना
किसी के इरादों के साथ बह जाना
क्या कहलाता है प्यार
जिसमें कुछ पल का भटकने की
सजा भी मिल सकती है
जिन्दगी में हर कदम पर बारंबार
कोई एक पहचान खोये
दूसरा उस पर थोपे अपना नाम
बराबरी की शर्त पूरी
नहीं करता ऐसा प्यार
एक खेलता है
दूसरा देखता है
वासना में लिपटा बदन मचले
कहलाता नहीं प्यार
दिल में भोगने की चाहत पूरी करना
जिस्म में जलती आग बुझाना तो
सभी चाहते हैं
पर त्याग और यकीन पर खरे उतरें
कुछ पाने की चाह न हो
तभी कहलाता है प्यार

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