Sunday, July 22, 2007

अपने साथ हमदमों को कर लो

समझौता ग़मों से कर लो
दोस्ती नगमों से कर लो
महफ़िलों में जाकर
इज्जत की उम्मीद छोड़ दो
जहां सब सज-धज की आएं
वह तुम्हें देखने की फुर्सत है
सभी बोलें कम अपने लबादे
ज्यादा दिखाएँ
सोचें कुछ और
बोलें कुछ और
सुनकर अनुसना कर सकें तो
सबसे बतियाएं
अगर कोई अपने शब्दों से
घाव कर दे
तो तसल्ली और यकीन की
मरहमों से कर लो

कहैं दीपक बापू
अपनी शान दिखाने में
तुम कभी न पडना
दूसरों की चमक मैं
अपने को अंधा न करना
जिनके चेहरे पर जितनी रोशनी है
उतना ही उनके मन में है अँधेरा
तुम अपने यकीन और हिम्मत के
साथ सबके सामने डटे रहो
किसी और में कुछ भी न ढूँढो
साथ अपने हमदमों को कर लो
---------------

No comments:

समस्त ब्लॉग/पत्रिका का संकलन यहाँ पढें-

पाठकों ने सतत अपनी टिप्पणियों में यह बात लिखी है कि आपके अनेक पत्रिका/ब्लॉग हैं, इसलिए आपका नया पाठ ढूँढने में कठिनाई होती है. उनकी परेशानी को दृष्टिगत रखते हुए इस लेखक द्वारा अपने समस्त ब्लॉग/पत्रिकाओं का एक निजी संग्रहक बनाया गया है हिंद केसरी पत्रिका. अत: नियमित पाठक चाहें तो इस ब्लॉग संग्रहक का पता नोट कर लें. यहाँ नए पाठ वाला ब्लॉग सबसे ऊपर दिखाई देगा. इसके अलावा समस्त ब्लॉग/पत्रिका यहाँ एक साथ दिखाई देंगी.
दीपक भारतदीप की हिंद केसरी पत्रिका


लोकप्रिय पत्रिकायें

विशिष्ट पत्रिकाऐं

हिंदी मित्र पत्रिका

यह ब्लाग/पत्रिका हिंदी मित्र पत्रिका अनेक ब्लाग का संकलक/संग्रहक है। जिन पाठकों को एक साथ अनेक विषयों पर पढ़ने की इच्छा है, वह यहां क्लिक करें। इसके अलावा जिन मित्रों को अपने ब्लाग यहां दिखाने हैं वह अपने ब्लाग यहां जोड़ सकते हैं। लेखक संपादक दीपक भारतदीप, ग्वालियर