वाह रे बाज़ार तेरा खेल
मैदान में पिटे हीरो को
कागज और फिल्म पर
चमकाकर और सजाकर
जनता के बीच देता है ठेल
क्रिकेट में कोई विश्वकप नही
जीत सके जो तथाकथित महान
ऐसे प्रचार का जाल बिछाते हैं
कि लोग फिर
उनके दीवाने बन जाते हैं
अपने पुराने विज्ञापन इस
तरह सबके बीच लाते हैं कि
लोग हीरो की नाकामी से
हो जाते हैं अनजान
और बिक जाता है बाजार में
उनका रखा और सडा-गडा तेल
न ताज कभी चला न चल सकता है
उस पर हुए करोड़ों के वारे-न्यारे
और वह चला भी ख़ूब
प्रचार ऐसा हुआ कि
पैसेंजर में नही लदा
खुद ही बन गया मेल
कहै दीपक बापू
शिक्षा तो लोगों में बहुत बढ़ी है
पर घट गया है ज्ञान
शब्दों का भण्डार बढ़ गया है
आदमी की अक्ल में
पर अर्थ की कम हो गयी पहचान
बाजार में वह नहीं चलता
चलाता है बाजार उसे
सामान खरीदने नहीं जाता
बल्कि घर लूटकर आता
और कभी सामान तो दूर
हवा में पैसे गँवा आता
विज्ञापन और बाजार का या खेल
जिसने कमाया वही सिकंदर
जिसने गँवाया वह बंदर
इससे कोई मतलब नही कि
कौन है पास कौन है फेल
समाधि से जीवन चक्र स्वतः ही साधक के अनुकूल होता है-पतंजलि योग सूत्र
(samadhi chenge life stile)Patanjali yog)
-
*समाधि से जीवन चक्र स्वतः ही साधक के अनुकूल होता
है।-------------------योगश्चित्तवृत्तिनिरोशःहिन्दी में भावार्थ -चित्त की
वृत्तियों का निरोध (सर्वथा रुक ज...
3 years ago
No comments:
Post a Comment