आँखें देखतीं हैं
कान सुनते हैं
और जीभ का काम है बोलना
पर जो पहचान करे
सुनकर जो गुने
और जो श्रीमुख से
शब्द व्यक्त करे
वह कौन है
हाथ करते हैं अपना काम
टांगों का काम है चलना
और कंधे उठाएं बोझ
पर जो पहुँचाता है लक्ष्य तक
जो देता है दान
और जो दर्द को सहलाता है
वह कौन है
कहैं दीपक बापू
कहाँ उसे बाहर ढूंढते हो
क्यों व्यर्थ में त्रस्त होते हो
बैठा तुम्हारे मन में
तुम उससे बात नहीं करते
इसलिये वह मौन है
जब तक तुम हो
तब तक वह भी है
तुम्हारा अस्तित्व है उससे
उसका जीवन है तुमसे
तुम सीमा में बंधे रहते हो
उसकी शक्ति अनंत है
तुम पहचानने की कोशिश करके देखो
वह तुम्हारा अंतर्मन नहीं तो और कौन है
-----------------
समाधि से जीवन चक्र स्वतः ही साधक के अनुकूल होता है-पतंजलि योग सूत्र
(samadhi chenge life stile)Patanjali yog)
-
*समाधि से जीवन चक्र स्वतः ही साधक के अनुकूल होता
है।-------------------योगश्चित्तवृत्तिनिरोशःहिन्दी में भावार्थ -चित्त की
वृत्तियों का निरोध (सर्वथा रुक ज...
3 years ago
No comments:
Post a Comment