निर्माता ने हीरोईन को फिल्म की पटकथा सुनाते हुए कहा
‘‘इस फिल्में में
आपकी भूमिका नेत्री की है
जो चुनाव में लड़कर जमानत गंवा देती है,
फिर छेड़ती है भ्रष्टाचार के विरुद्ध आंदोलन
अपने विरोधियों को पद से हटाकर
बदला लेती है,
यह पटकथा जोरदार है फिल्म जरूर हिट हो जायेगी।’’
सुनकर हीरोईन बोली
‘‘ न बाबा न, चुनाव में जमानत खोना तो दूर,
हारने तक की बात मुझे नहीं है मंजूर,
क्या पता मुझे कब चुनाव सचमुच लड़ना पड़ जाये,
जमानत खोने वाली छवि का नतीजा वहां नज़र आये,
कहा जाता है कि जनता की याद्दाश्त कमजोर होती है,
पर यह भी सच है कि फिल्म हस्तियों की छवि
एक बार बन जाये वह हमेशा वह ढोती है,
आप तो इस फिल्म से कमा लेंगे
आप पटकथा बदलो तभी काम करूंगी
आपकी बात मानी तो मेरी मंत्री बनने की ख्वाहिश खाक हो जायेगी।’’
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लेखक एवं संपादक-दीपक राज कुकरेजा ‘भारतदीप’
लश्कर, ग्वालियर (मध्य प्रदेश)
कवि, लेखक एवं संपादक-दीपक ‘भारतदीप’,ग्वालियरhindi poet,writter and editor-Deepak 'Bharatdeep',Gwalior
http://dpkraj.blgospot.com
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