खुशियां का फल
किसी पेड़ पर नहीं उगता
जिसे तोड़कर अपने दिल में लगाते,
जिंदगी का दौर चलता रहे
खुशी का मौका हो या गम का
चेहरे पर यूं ही हंसी लाते।
कहें दीपक बापू
चेहरे पर फरिश्ते का लगाकर मुखौटा
चाल चलते हैं लोग शैताने जैसी,
सौदे में मिलती है दाम पर हमदर्दी
दर्द की दवा बनेगी कैसी,
शोर मचा देते है वह लोग
जिन्हें अपनी बदहाली सुनाओ,
सहते रहें तन्हाई में अपने हाल
अच्छा है मन में मौन बुलाओ,
अपने अंदाज के साथ
जिंदगी में मजा यूं ही लाते।
किसी पेड़ पर नहीं उगता
जिसे तोड़कर अपने दिल में लगाते,
जिंदगी का दौर चलता रहे
खुशी का मौका हो या गम का
चेहरे पर यूं ही हंसी लाते।
कहें दीपक बापू
चेहरे पर फरिश्ते का लगाकर मुखौटा
चाल चलते हैं लोग शैताने जैसी,
सौदे में मिलती है दाम पर हमदर्दी
दर्द की दवा बनेगी कैसी,
शोर मचा देते है वह लोग
जिन्हें अपनी बदहाली सुनाओ,
सहते रहें तन्हाई में अपने हाल
अच्छा है मन में मौन बुलाओ,
अपने अंदाज के साथ
जिंदगी में मजा यूं ही लाते।
दीपक राज कुकरेजा ‘भारतदीप’
ग्वालियर मध्यप्रदेश
Deepak Raj Kukreja 'Bharatdeep'
Gwalior, Madhya Pradesh
कवि, लेखक एवं संपादक-दीपक ‘भारतदीप’,ग्वालियर
hindi poet,writter and editor-Deepak 'Bharatdeep',Gwalior
http://dpkraj.blgospot.com
ग्वालियर मध्यप्रदेश
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