Sunday, June 3, 2012

घायल होने का दर्द-हिन्दी साहित्य (Ghyal hone ka dard-hindi kavita or poem)

रास्ते में मिलने वाले
सभी लोगों से हम कभी
अपना दिल नहीं मिलाते,
पता है कि जिनका ठिकाना आ गया पहले
वह हमें छोड़ जायेंगे,
मंजिल आयी पहले अगर हमारी
हम उन्हें आगे घकियाएंगे,
ऐसे में जिस हमराह के यादगार पल हों साथ
वह दिल का दर्द दिखाते।
कहें दीपक बापू
लोग हालतों से मजबूर होकर
अपना चेहरा बदल देते हैं,
मतलब निकलते ही दूर होकर
अपना नाम भी बदल देते हैं,
हवा में उड़ने की चाहत में
लोग जोड़ते हैं तूफानों से नाता,
गिरना तय था
घायल होने पर ही हर कोई समझ पाता,
इसलिये दूसरों को नहीं
खुद को ही जमीन पर पांव
रखकर चलना सिखाते।
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कवि, लेखक एवं संपादक-दीपक ‘भारतदीप’,ग्वालियर
hindi poet,writter and editor-Deepak 'Bharatdeep',Gwalior
http://dpkraj.blgospot.com

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