Wednesday, March 2, 2016

सवाल बवाल-हिन्दी कविता(Sawal Bawal-Hindi Kavita)

खामोश रहें तो
करते शिकायत 
हम नहीं सवाल करते हैं।

अपने शब्द कहें तो
अपने अर्थ लगाकर
बवाल करते हैं।

कहें दीपकबापू हृदय में
जिनके छाया अंधेरा 
प्रकाश मांगते उधार में
आदर्श की बातें करते
घर में ज़माने भर का
माल भरते हैं।
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लेखक एवं संपादक-दीपक राज कुकरेजा भारतदीप
लश्करग्वालियर (मध्य प्रदेश)
कवि, लेखक एवं संपादक-दीपक ‘भारतदीप’,ग्वालियर
hindi poet,writter and editor-Deepak 'Bharatdeep',Gwalior
http://dpkraj.blgospot.com


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