सिंहासन का स्वाद जिसने एक बार चखा
वह विलासिता का आदी हो जाता है,
दिन दरबार में बजाता चैन की बंसी
रात को राजमहल में निद्रा वासी हो जाता है।
कहें दीपक बापू दुनियां चल रही भगवान भरोसे
बादशाह अपने फरिश्ते होने की गलतफहमी मे रहते
आम आदमी अपने कड़वे सच में भी
भगवान दरबार में जाकर भक्ति का आनंद उठाता है।
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लेखक एवं संपादक-दीपक राज कुकरेजा ‘भारतदीप’
लश्कर, ग्वालियर (मध्य प्रदेश)
कवि, लेखक एवं संपादक-दीपक ‘भारतदीप’,ग्वालियरhindi poet,writter and editor-Deepak 'Bharatdeep',Gwalior
http://dpkraj.blgospot.com
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