- जिसके प्रति लगाव(सच्चा प्यार) वह दूर होते हुए भी पास रहता है। इसके विपरीत जिसके प्रति लगाव नहीं है वह प्राणी समीप होते हुए भी दूर रहता है। मन का लगाव न होने पर आत्मीयता बन ही नहीं पाती और किसी प्रकार का संबंध बन ही नहीं पाता।
- जिस किसी प्राणी से मनुष्य को किसी भी प्रकार के लाभ मिलने की आशा है उससे सदैव और प्रिय व्यवहार करना चाहिए। मृग का शिकार करने की इच्छा रखने वाला चालाक शिकारी उसे मोहित करने के लिए उसके पास रहकर मधुर स्वर में गीत गाता रहता है।
- विद्वान व्यक्ति वही है जो अपने व्यक्तित्व के अनुकूल ऎसी बात करता हो जो प्रसंग के भी अनुकूल हो। अच्छी से अच्छी बात अप्रान्सगिक होकर प्रभावहीन हो जाती है। यदि वह बात अप्रिय हो और उसमें क्रोध की अभिव्यक्ति आवश्यक हो तो वह भी उतना ही प्रदर्शित करना चाहिए जितना निभा सकें।
समाधि से जीवन चक्र स्वतः ही साधक के अनुकूल होता है-पतंजलि योग सूत्र
(samadhi chenge life stile)Patanjali yog)
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*समाधि से जीवन चक्र स्वतः ही साधक के अनुकूल होता
है।-------------------योगश्चित्तवृत्तिनिरोशःहिन्दी में भावार्थ -चित्त की
वृत्तियों का निरोध (सर्वथा रुक ज...
3 years ago
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