पर्दे पर रोज
पुराने चेहरे ही
कुश्ती करने आते हैं।
दंगे में शांति का
पर्व में क्रांति का शब्द
कान में भरने आते हैं।
कहें दीपकबापू वाणी से
कमाना जिन्होंने सीख लिया
उनके मुख से निकले वाक्य
अर्थ के बाग चरने आते हैं।
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पुराने चेहरे ही
कुश्ती करने आते हैं।
दंगे में शांति का
पर्व में क्रांति का शब्द
कान में भरने आते हैं।
कहें दीपकबापू वाणी से
कमाना जिन्होंने सीख लिया
उनके मुख से निकले वाक्य
अर्थ के बाग चरने आते हैं।
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