Thursday, August 16, 2012

साहूकार से बने लाचार-हिंदी कविता (sahukar se bane lachar-hindi kavita-hindi poem)


सेवा का व्रत उन्होंने उठाया है,
मेवा में पद मिलेगा
किसी ने उनको सुझाया है।
गरीबों की मदद
मजदूरों को मेहनताना
और बीमार को इलाज दिलाने के लिये
वह समाज सेवा करने में जुट गये है,
रहने के लिये महल
बैठने के लिये कुर्सी
उड़ने क्रे लिये विमान
उनकी पहली जरूरत बन गये है
लाचार तक पहुंचने के लिये
बन गयी उनकी पहली जरूरत
कई साहुकार बन गये मदद पाने के लिये लाचार
सेवक बने स्वामियों की मदद में
उनके खजाने लुट गये हैं।
.............................................
लेखक एवं कवि- दीपक राज कुकरेजा,‘‘भारतदीप’’,

ग्वालियर, मध्यप्रदेश


कवि, लेखक एवं संपादक-दीपक ‘भारतदीप’,ग्वालियर
hindi poet,writter and editor-Deepak 'Bharatdeep',Gwalior
http://dpkraj.blgospot.com

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