सेवा का व्रत उन्होंने उठाया है,
मेवा में पद मिलेगा
किसी ने उनको सुझाया है।
गरीबों की मदद
मजदूरों को मेहनताना
और बीमार को इलाज दिलाने के लिये
वह समाज सेवा करने में जुट गये है,
रहने के लिये महल
बैठने के लिये कुर्सी
उड़ने क्रे लिये विमान
उनकी पहली जरूरत बन गये है
लाचार तक पहुंचने के लिये
बन गयी उनकी पहली जरूरत
कई साहुकार बन गये मदद पाने के लिये लाचार
सेवक बने स्वामियों की मदद में
उनके खजाने लुट गये हैं।
.............................................
लेखक एवं कवि- दीपक राज कुकरेजा,‘‘भारतदीप’’,
ग्वालियर, मध्यप्रदेश
कवि, लेखक एवं संपादक-दीपक ‘भारतदीप’,ग्वालियर
hindi poet,writter and editor-Deepak 'Bharatdeep',Gwalior
http://dpkraj.blgospot.com
hindi poet,writter and editor-Deepak 'Bharatdeep',Gwalior
http://dpkraj.blgospot.com
यह आलेख इस ब्लाग ‘दीपक भारतदीप का चिंतन’पर मूल रूप से लिखा गया है। इसके अन्य कहीं भी प्रकाशन की अनुमति नहीं है।
अन्य ब्लाग
1.दीपक भारतदीप की शब्द पत्रिका
2.अनंत शब्दयोग
3.दीपक भारतदीप की शब्दयोग-पत्रिका
4.दीपक भारतदीप की शब्दज्ञान पत्रिका5.दीपक बापू कहिन
6.हिन्दी पत्रिका
७.ईपत्रिका
८.जागरण पत्रिका
९.हिन्दी सरिता पत्रिका
अन्य ब्लाग
1.दीपक भारतदीप की शब्द पत्रिका
2.अनंत शब्दयोग
3.दीपक भारतदीप की शब्दयोग-पत्रिका
4.दीपक भारतदीप की शब्दज्ञान पत्रिका5.दीपक बापू कहिन
6.हिन्दी पत्रिका
७.ईपत्रिका
८.जागरण पत्रिका
९.हिन्दी सरिता पत्रिका
No comments:
Post a Comment